कवि सम्मेलन वर्ष-2024

कवि सम्मेलन 2024 का आयोजन

हिंदी प्रकोष्ठ, भा.प्रौ.सं. रोपड़ ने संस्थान के अल्फाज़ ग्रुप के साथ संयुक्त तत्वावधान में 24 सितंबर को संस्थान में सुप्रसिद्ध कविगणों की प्रस्तुति के सानिध्य में कवि सम्मेलन का आयोजन संपन्न किया। संस्थान के हिंदी प्रकोष्ठ ने वर्ष 2023 से भव्य स्तर पर कवि सम्मेलन का आयोजन करना आरंभ किया था।

दिनांक 24 सितंबर 2024 को कवि सम्मेलन में कविरत्नों के रुप में, श्रृंगार कवयित्री मणिका दुबे, श्री स्वयं श्रीवास्तव, हास्य कवि श्री विवेक बौखल तथा हिंदी एवं उर्दु के मशहूर कवि एवं शायर श्री अजहर इकबाल विशेष रुप से आमंत्रित थे।


कवि सम्मेलन की शुरुवात भा.प्रौ.सं. रोपड़ के निदेशक आचार्य राजीव आहूजा महोदय द्वारा सभी आमंत्रित कवियों का पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह्र से स्वागत कर हुई। इस अवसर पर माननीय निदेशक महोदय आचार्य आहूजा जी ने इस प्रकार के साहित्यिक सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए यह विचार साझा किया कि इस प्रकार के कार्यक्रम केवल मनोरंजन का ही नहीं अपितु भाषायी संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार का भी सशक्त माध्यम के रुप में कार्य करते है। आचार्य आहूजा ने सभी को आश्वस्त भी किया कि संस्थान हिंदी प्रकोष्ठ के माध्यम से समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन करता रहेगा।

प्रोफेसर राजीव आहूजा महोदय के औपचारिक संभाषण के उपरांत कवि श्री स्वयं श्रीवास्तव जी ने मंच की बागडोर संभाली। अपनी हिंदी की धाराप्रवाह शैली से श्री स्वयं श्रीवास्तव जी ने पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन की विधिवत शुरुवात हास्य कवि श्री विकास बौखल जी के काव्य पाठ से हुई।

“इस मंहगाई में कन्हैया यदि आए कहीं
सच कहूं रोटी दाल मार डालेगी
रथ ना मिला तो नैनो कार में चलेंगे आप
ब्रेकरों की राह में उंछाल मार डालेगी”
(हास्य कवि श्री विकास बौखल)



इसके पश्चात श्रृंगार की कवयित्री सुश्री मणिका दुबे जी ने अपने काव्य पाठ से सभी को मंत्रमुग्ध कियाः-

“हाल दिल का छिपाना नहीं आएगा
कौन तुम सा तराना नहीं गाएगा
आज मुस्कान की तुमने तारिफ़ की
अब मेरा मुस्कुराना नहीं जाएगा"
(श्रृंगार कवयित्री सुश्री मणिका दुबे)

कवि सम्मेलन के तृतीय कवि के रुप में श्री स्वयं श्रीवास्तव ने अपनी काव्य पाठ से समा बांध दियाः-

(कवि श्री स्वयं श्रीवास्तव)

कवि सम्मेलन के अंतिम कवि के रुप में हिंदी और उर्दु के मशहुर कवि एवं शायर श्री अजहर इकबाल जी को सुनने का अवसर प्राप्त हुआः-

“हर तरफ घात में बैठे है यहां दुशासन
वीर अर्जुन सा लड्डैया नहीं आने वाला
खुद तुम्हें दुर्गा के अवतार में ढ़लना होगा
घोर कलियुग है कन्हैया नहीं आने वाला”
(शायर श्री अजहर इकबाल)

यह कवि सम्मेलन डॉ. अभिषेक तिवारी (हिंदी प्रकोष्ठ के संकाय प्रभारी), श्री विपिन कुमार (हिंदी अधिकारी/सहायक कुलसचिव) के मार्गदर्शन एवं संरक्षण में तथा डॉ. गिरीश प्रमोदराव कठाणे (वरिष्ठ हिंदी अनुवाद अधिकारी) के समन्वयन में आयोजित किया गया था।