October-December

दिनांक 16 जून, 2022 को आनलाइन हिंदी कार्यशाला का आयोजन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के हिंदी प्रकोष्ठ ने दिनांक 16 जून, 2022 को आभासीय रुप में हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न किया। राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में तथा दिनांक 25 मई 2022 को संपन्न नराकास रुपनगर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुवर्ती इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में हिंदी प्रकोष्ठ, भा.प्रौ.सं. रोपड़ ने अक्टूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के दौरान हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न किया। संस्थान का हिंदी प्रकोष्ठ प्रति तिमाही एक कार्यशाला का आयोजन संपन्न करता आ रहा है। इसी क्रम में, दिनांक 06 दिसंबर 2022 को आनलाइन माध्यम से हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य संस्थान सदस्यों को हिंदी कंप्यूटिंग के विभिन्न आयामों से परिचित करना था। अतः इस विषय पर संस्थान सदस्यों का मार्गदर्शन करने हेतु श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद, उप निदेशक एवं मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को विशेष रुप से आमंत्रित किया गया था। इस कार्यशाला में संस्थान के कर्मचारियों ने बढ़-चढ़ कर अपनी सहभागिता दर्ज की।



इस कार्यशाला के आरंभिक चरण में, संस्थान के हिंदी अधिकारी एवं संयुक्त कुलसचिव श्री लगवीश कुमार ने औपचारिक स्वागत करते हुए श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद जी का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की ओर से स्वागत एवं अभिवादन किया।



अपने मार्गदर्शन पर वक्तव्य में श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद, उप निदेशक ने फॉन्ट कर्न्वटर, विभिन्न फोन्ट, वॉइस टाइपिंग आदि कई बिंदुओं पर सभी को मार्गदर्शित किया।





फोन्ट कर्न्वटर पर मार्गदर्शन करते हुए। वॉइस टाइपिंग पर जानकारी देते हुए

श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद जी ने फोन्ट कर्न्वटर से सत्र का आरंभ करते हुए सभी के साथ विभिन्न हिंदी फोन्ट यथा रेमिंगटन, इनस्क्रीप्ट, फोनेटिक आदि का परिचय देते हुए वॉइस टाइपिंग किस प्रकार कार्य करता है इसका डेमो विस्तार के साथ समझाया।



तत्पश्चात, कंठस्थ सॉफ्टवेयर के संबंध में भी जानकारी साझा करते हुए इसके भविष्यिक लाभों को भी चिन्हित किया। आमंत्रित वक्ता महोदय ने अनुवाद करते हुए दोनों भाषाओं पर समान अधिकार का महत्व पर सभी के साथ अपने विचार साझा किए। साथ ही, लिप्यांतरण और अनुवाद के अंतर को भी बहुत ही सरलता से स्पष्ट करते हुए यह भी बताया कि हिंदी कंप्यूटर की डिफोल्ट लैंग्वेज हो सकती है।





इस कार्यशाला के अंतिम चरण में, संस्थान के हिंदी अनुवादक डॉ. गिरीश प्रमोदराव कठाणे ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित करते हुए श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद जी का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा सभी उपस्थितों को भी धन्यवाद किया। डॉ. गिरीश ने अपने विचार साझा करते हुए श्री नरेन्द्र कुमार प्रसाद जी को अपना मार्गदर्शन इसी प्रकार संस्थान सदस्यों को प्रदान करने की अभिलाषा व्यक्त की। इस कार्यशाला का संचालन डॉ. गिरीश प्रमोदराव कठाणे, हिंदी अनुवादक ने किया।