October-December
भा.प्रौ.सं. रोपड़ में हिंदी कार्यशाला का आयोजन (दिनांक 13 दिसंबर, 2024)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के हिंदी प्रकोष्ठ ने दिनांक 13 दिसंबर, 2024 को आभासीय रुप में हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न किया। राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

यह कार्यशाला “प्रौद्योगिकी संस्थानों में राजभाषा हिंदी का कार्यान्वयन” विषय पर आयोजित की गई जिसमें विषय विशेषज्ञ के रुप में उप निदेशक (कार्यान्वयन), पूर्व क्षेत्र, कोलकाता, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार डॉ. विचित्रसेन गुप्त को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर नराकास रुपनगर के सदस्य कार्यालयों के अधिकारी एवं कर्मचारीगण विशेष रुप से उपस्थित थे। इस कार्यशाला में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के कर्मचारियों , अधिकारियों तथा संकाय सदस्यों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की।

सर्वप्रथम संस्थान के वरिष्ठ हिंदी अनुवाद अधिकारी डॉ. गिरीश प्रमोदराव कठाणे ने आमंत्रित वक्ता महोदय का स्वागत किया। साथ ही, नराकास रुपनगर के सदस्य कार्यालयों से जुड़े अधिकारी एवं कर्मचारिगण, भा.प्रौ.सं. रोपड़ के संकाय सदस्य, अधिकारी एवं कर्मचारिगणों का भी स्वागत किया। डॉ. गिरीश ने डॉ. विचित्रसेन गुप्त जी के जीवन-वृत्त के संबंध में सभी उपस्थिति को जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. गुप्त काशी हिंदु विश्वविद्यालय में हिंदी अधिकारी के रुप में एक लंबी अवधि तक अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके है।
आमंत्रित वक्ता महोदय ने अपने मार्गदर्शन परक वक्तव्य का आंरंभ राजभाषा हिंदी से जुड़े संवैधानिक प्रावधान, इस संबंध में निर्धारित नियमों, अधिनियमों के साथ-साथ विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के संबंध में सभी को जानकारी प्रदान कर उन्हें इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की।
आमंत्रित वक्ता महोदय ने अपने विचार को साझा करते हुए इस बात की ओर सभी का ध्यान केंद्रित किया कि हिंदी में कार्य करना केवल हिंदी प्रकोष्ठ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का दायित्व नहीं है। संस्थान के प्रत्येक सदस्य को राजभाषा हिंदी के संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करना अनिवार्य रुप से अपेक्षित है।
मूल पत्राचार के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए डॉ. गुप्त ने इस संबंध में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की अपेक्षाओं की जानकारी दी। साथ ही, मूल पत्राचार के संबंध में बहुत सटिक और सरल परिभाषा देते हुए बताया कि अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने द्वारा किया जानेवाला पत्राचार मूल पत्राचार की श्रेणी में आता है।
आमंत्रित वक्ता महोदय ने यह भी स्पष्ट किया कि राजभाषा विभाग और इसके तकनीकी प्रयासों के संबंध में भी उपस्थितों को जानकारी प्रदान की। साथ ही, राजभाषा विभाग द्वारा चलाएं जा रहे विभिन्न प्रशिक्षणों तथा इन प्रशिक्षणों के लिए नामांकन के मानकों पर भी अपने विचार साझा किए।
कार्यशाला का समापन करते हुए संस्थान के वरिष्ठ हिंदी अनुवाद अधिकारी डॉ. गिरीश ने डॉ. विचित्रसेन गुप्त जी का धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही, नराकास रुपनगर के सदस्य कार्यालयों के उपस्थित कर्मचारी, अधिकारिगणों तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सदस्यों का भी अपनी उपस्थिति से इस कार्यशाला को सफल बनाने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।