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भा.प्रौ.सं. रोपड़ में आनलाइन हिंदी कार्यशाला का आयोजन (दिनांक 29 जून, 2021)

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा दिनांक 29 जून, 2021 को दोपहर 3.00 बजे आनलाइन माध्यम से हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय “पंजाबी भाषा, साहित्य और संस्कृतिः अतीत, वर्तमान और भविष्य” था।
यह कार्यशाला संस्थान में कार्यरत् कर्मचारियों में निज भाषा के प्रति अपनत्व के भाव को अंकुरित करने तथा निज भाषा को महत्व को समझकर हिंदी और पंजाबी के समान तत्वों से उन्हें अवगत कराना था। इस कार्यशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ. रवि रविंदर वक्ता के रुप में आमंत्रित थे।

इस अवसर पर श्री रविंदर कुमार, कार्यवाहक कुलसचिव, भा.प्रौ.सं. रोपड़ ने आमंत्रित वक्ता महोदय तथा अन्य सहभागियों का औपचारिक स्वागत किया। अपने स्वागत संबोधन में कार्यवाहक कुलसचिव महोदय ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि हमें हिंदी को आगे बढ़ाना है तो सबसे पहले भारत की तमाम भाषाओं पर भी हमें उतना ही ध्यान देना होगा।
औपचारिक स्वागत के पश्चात डॉ. रवि रविंदर जी ने अपने व्याख्यान में पंजाबी भाषा तथा हिंदी के साथ इसके संबंधों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता महोदय ने सभी से अपने विचार साझा करते हुए यह बताया कि हर एक व्यक्ति को अपनी मातृभाषा, निज भाषा के प्रति स्वाभिमान का भाव रखना चाहिए न कि हीनता का।
वक्ता महोदय ने आगे यह भी कहा कि आज के इस युग में भाषा को बचाने की आवश्यकता नहीं है अपितु भाषा को समयानुरुप ढ़ालने तथा इसमें वांछित परिवर्तन करने की आवश्यकता है। अपनी संबोधन में वक्ता महोदय ने कहां कि भाषा के संवर्धन एवं विकास में परिवार की, परिवार के बाद समाज की तथा इसके बाद विद्यालय, महाविद्यालय तथा अंत मे विश्वविद्यालय की भूमिका होती है। अतः यह स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति सर्वप्रथम अपने परिवार से ही भाषायी संस्कार प्राप्त करता है। अतः भाषा के संवर्धन एवं विकास में परिवार की अहम भूमिका है।

भाषा के संबंध में विभिन्न पक्षों पर अपने विचार साझा करते हुए अंत में वक्ता महोदय ने सभी से यह अपील की कि समाज के सभी संपन्न लोगों को गरीब के बच्चों के शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए और इस कार्य में अपनी क्षमता से सहयोग करना चाहिए।

कार्यक्रम को अंतिम चरण में भा.प्रौ.सं. रोपड़ के हिंदी अधिकारी श्री लगवीश कुमार ने आमंत्रित वक्ता महोदय तथा सभी सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। अपने धन्यवाद ज्ञापन में श्री लगवीश कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि पंजाबी भाषा अपनी एक महान विरासत और पृष्ठभूमि रखती है। मातृभाषा होने के कारण हम सभी का यह नैतिक दायित्व है कि हम इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें इसे ओर समृद्ध बनाएं क्योंकि हिंदी का विकास तभी संभव है जब क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व दिया जाएं क्योंकि भारत की सभी भाषाएं एक दूसरे की सहायिका के तौर पर कार्य करती है।

इस कार्यशाला में भा.प्रौ.सं. रोपड़ के तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के सदस्यों को मिलाकर कुल 92 सदस्य उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन संस्थान के हिंदी अनुवादक डॉ. गिरीश प्रमोदराव कठाणे ने किया।